Inspiring Session for Std 11-12 on ‘Choices in Life’ by Pujya Brahmvihariswamiji

શરીર અને શીઘ્ર ગ્રહણશક્તિનું સક્રિય તાદાત્મ્ય – Body & Kinaesthetic Intelligence Competition 2018-19

Getting inspired at the INSPIRE Science Camp 2018

We, Megh Rathod and Taarak Trivedi got the golden opportunity of participating in the INSPIRE Science Camp held by the Department of Science and Technology, Government of India and organized in Gujarat by Nirma University. It was a great opportunity to learn and experience the extent of Science Research in our country and around the world.

It was a 5-day residential camp from 2nd December to 7th December 2018. The camp included various fun-filled activities with lots of inspiring and knowledge-filled talks from professors from eminent places like IIT Bombay, National Chemical Laboratory (NCL, Pune), Physics Research Laboratory (PRL), Indian Institute of Science, Bangalore, Indian Institute of Science Education and Research (IISER, Pune), etc. The inauguration ceremony was presided by Padmashri Dr. Kartikeya Sarabhai who gave a very insightful talk on the Global Environmental Crisis and how to resolve it. This was followed by various other astute talks on current issues and topics like Cell Phone and Cell tower radiation, Cryptography, Mathematics, Environmental Issues, Human Brain and cognizance etc.

INSPIRE Science Camp was not only about learning new stuff, but also for expressing oneself. There was a writing competition on new and innovative ideas on some of the key areas of priority such as Make in India, Swachh Bharat, Energy Conservation, Solid and Liquid Waste Management. We also got to work in Nirma University’s research laboratories and get first-hand experience about what is it to pursue research in Science as a career in life. Throughout our journey we made many friends with great intellect and scientific temperament.

During these five days we were surrounded by extremely intelligent people and well-established scientists. What touched our hearts the most was their humility and atmiyata, despite their achievements and calibre. Our mentor and the Director of Innovation and Research at Nirma University, Dr. Dhaval Pujara was a man not only of great knowledge but also of immense patience and dedication. Though we were with him only for a few days he treated us like his own children and students. He regularly approached us to know how we felt about the camp and if anything better could be done. He took care of us selflessly, from our stay to our food to all the science activities in the camp. Despite being a Director, he always was on his toes to help us out with any difficulties during the camp.

To conclude, it was a great learning experience which dipped us not only in the shower of knowledge but at the same time, gave us an enchanting chance to be with people of great intellect and have a personal learning experience from them.

Reported by: Megh Rathod, Taarak Trivedi (Class 11 Science)

Naturalistic Intelligence Competition 2018‎-19

इस पूरे ब्रह्मांड में सिर्फ एक ही जगह ऐसी है जहाँ जीवन है । और जहाँ चारों ओर हरियाली रहती है और इसी हरियाली से यह धरती बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगती है | यह प्रकृति ही है जो हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक प्राकृतिक पर्यावरण देती है | यह प्रकृति हमें भगवान द्वारा दिया गया एक बहुमूल्य कीमती उपहार के समान है | हमें इस प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए और इसे नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए | प्रकृति को ही ईश्वर का रूप माना जाता है और जब भी हम प्रकृति के समीप जाते हैं तो एक अलग सी सुख,  शांति और समृद्धि की अनुभूति करते हैं | इसे पैसे या धन दौलत से नहीं खरीदा जा सकता हैं | उन लोगों का जीवन बहुत बड़ा होता हैं जिनका जन्म और मृत्यु प्रकृति की गोद में होता हैं | प्रकृति मनुष्य को बहुत कुछ सिखाती हैं लेकिन मनुष्य उसे नजर अंदाज कर देता है | प्रकृति से प्रेम ही मानव जाति के लिए हितकर है | इसीलिए तो कहा गया है कि “प्रकृति में कोई वाई-फाई (Wi-Fi) नहीं होता है पर हृदय से इसका कनेक्शन (Connection) बहुत मजबूत बनता है |”

ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे,

ये हवाओं की सरसराहट,

ये पेड़ों पर फुदकती चिड़ियों की चहचहाहट,

ये समुंदर की लहरों का शोर,

ये बारिश में नाचते सुंदर मोर,

कुछ कहना चाहते हमसे ||

आत्मीय विद्या मंदिर जहाँ प्राकृतिक माहौल चारों तरफ विद्यमान हैं | छात्र इसी प्राकृतिक वातावरण में अपना विकास करें इसी बात का खास ध्यान यहाँ पर रखा जाता है | छात्र इसी माहौल में कुछ न कुछ सीखते रहे इसलिए यहाँ विविध स्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है | छात्र प्रकृति से कुछ नया सीखें इसी उद्देश्य हेतु आत्मीय विद्या मंदिर में दिनांक – 27 अक्तूबर 2018 के दिन सुबह 11:30 से 12:30 तक प्राकृतिक बुद्धिमत्ता प्रतियोगिता (Naturalistic Intelligence Competition – 2018) का आयोजन किया गया था | इस स्पर्धा में विद्यालय के चारों सदनों में से छात्र उत्साह के साथ प्रतिभागी हुए थे | प्रतिभागी छात्रों के लिए विविध स्पर्धाओं का आयोजन किया गया था | जिसमें कक्षा 1 से 3, कक्षा 4 से 6, कक्षा 7-8 एवं कक्षा 9-10 के छात्रों ने भाग लिया था |

कक्षा 1, 2 एवं 3 के छात्र हेतु माननीय शर्मिल मैडम एवं माननीय लोपा मैडम ने स्पर्धा का आयोजन किया था | इस स्पर्धा के अंतर्गत छात्रों को प्राकृतिक सैर कराने के लिए ले जाया गया था | वहाँ पर छात्रों को प्राकृतिक वस्तुओं का निरीक्षण भी करना था | जब छात्रों ने निरीक्षण कर लिया तब अंत में मूल्यांकन हेतु एक अभ्यास पत्र दिया गया और छात्रों ने उसमें पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देकर अपने सदन को विजेता बनाने का प्रयास किया |

कक्षा 4, 5 एवं 6 के छात्र हेतु माननीय बिनु मैडम एवं माननीय अलका मैडम ने स्पर्धा का आयोजन किया था | इस स्पर्धा के अंतर्गत छात्रों को दो समूह में विभाजित किया था | समूह 1 में कक्षा 4 और 5 के छात्र शामिल थे | समूह 2 में कक्षा 6, 4 और 5 से दो-दो छात्र शामिल किए थे | समूह 1 के छात्रों के लिए तीन गतिविधियाँ की गई थी | गतिविधि-1 कक्षा 4 के छात्रों के लिए की गई थी | उसमें चारों सदन के छात्रों के आँखों पर पट्टी बाँध दी गई थी और छात्रों को जो प्राकृतिक वस्तुएँ हैं उनको सूँघकर या तो चखकर उन वस्तुओं की पहचान करनी थी |  गतिविधि- 2 कक्षा 5 के छात्रों के लिए की गई थी | उसमें चारों सदन के छात्रों के आँखों पर पट्टी बाँध दी गई थी और छात्रों को जो प्राकृतिक वस्तुएँ हैं उनको छूकर उन वस्तुओं की पहचान करनी थी | गतिविधि – 3 कक्षा 4 एवं 5 के छात्रों के लिए की गई थी | इस गतिविधि में छात्रों को विविध प्राणियों की आवाज़ सुनाई गई थी | छात्रों को जानवर की आवाज़ पर से उस जानवर की पहचान करनी थी | समूह 2 में प्रत्येक सदन से कक्षा 4, 5 एवं 6 के छात्र सहभागी हुए थे | उनको प्रकृति में से एवं अन्य कई दूसरी वस्तुओं का संग्रह करना था | संग्रह की गई वस्तुओं में से सुंदर रंगोली का निर्माण करना था | छात्रों ने विविध गतिविधियों का भरपूर आनंद प्राप्त किया |

कक्षा 7 एवं 8 के छात्र हेतु श्री प्रेरक सर और कमलेश सर ने एक सुंदर स्पर्धा का आयोजन किया था | इस स्पर्धा में चारों सदनों के आठ छात्र प्रतिभागी हुए थे | इस स्पर्धा में चारों सदनों के छात्रों को प्राकृतिक वातावरण में से वस्तुओं का संग्रह करने के लिए कहा गया | छात्रों ने उचित समय मर्यादा के अंदर जरूरत के अनुसार वस्तुओं का संग्रह किया | तत्पश्चात छात्रों को उन वस्तुओं का उपयोग करके एक रंगीन कागज़ पर चित्र तैयार करने के लिए कहा गया | छात्रों ने विविध प्रकार की सामग्री का प्रयोग करते हुए इस लेखा-चित्र को उचित समय मर्यादा के अंदर तैयार किया | चारों सदनों के छात्रों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाने का भरपूर प्रयास किया |

कक्षा 9 एवं 10 के छात्र हेतु श्री आनंद सर एवं श्री मुकेश सर ने विविध स्पर्धाएँ आयोजित की थी | इन स्पर्धाओं में चारों सदनों के छात्रों के लिए चार गतिविधियों का आयोजन किया था | प्रथम गतिविधि में हर सदन के छात्रों को दो चित्र दिए गए थे उन चित्रों के अंदर कुछ अंतर थे | छात्रों को उन अंतर को स्पष्ट करना था | दूसरी गतिविधि में छात्रों को विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, फूल इत्यादि वस्तुएँ दी गई थी और उसकी पहचान करनी थी | तीसरी गतिविधि के अंतर्गत हमारे जीवन में नित्य सामने आने वाली वस्तुओं के आधार पर प्रश्नोत्तरी की गई थी | अंतिम गतिविधि में छात्रों को पंद्रह अलग-अलग वस्तुएँ दी गई थी और उन वस्तुओं का वर्गीकरण करना था | सभी समूह के छात्रों ने इन सभी गतिविधियों का आनंद प्राप्त किया |

प्राकृतिक बुद्धिमत्ता प्रतियोगिता (Naturalistic Intelligence Competition) के आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्रों के भीतर जो प्रकृति से ज्ञान ग्रहण करने की कला है वह कला को विकसित करना था | छात्र जितना सहजता से ज्ञान अर्जित करता है उतना कहीं से नहीं करता है | आज के इस शिक्षा के माहौल में हम देखते हैं कि छात्र अपनी प्रकृति से ज्ञान अर्जित करने की कला को भूलता ही जा रहा है | तो छात्र यह जाने कि प्रकृति ने हमारे आसपास सिखाने के लिए बहुत सारे अवसर पैदा किए हैं | सिर्फ हम उन अवसरों को खोजें और कुछ नया ज्ञान प्रकृति से सहज ही प्राप्त करें | अंत में कह सकते हैं कि “जो सहज ही हमें सीखा जाए वही प्रकृति |”

कमलेश सर