आज के समय में व्यक्ति का मन अधिक फैल रहा है। वह धीरे-धीरे अधिक चंचल होता जा रहा है। छात्रों की एकाग्रता कम हो रही है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पढ़ाई में एकाग्रता अत्यंत आवश्यक है। मन की एकाग्रता के लिए
सर्वप्रथम शरीर का स्थिर होना ज़रुरी है। एक संत ने कहा है—
“ तन स्थिर मन स्थिर”
अर्थात मन को स्थिर करना हो तो प्रथम तन यानि शरीर की चंचलता को स्थिर करना पड़ेगा और शरीर को स्थिर करने के लिए छात्रों को यह ज्ञान होना चाहिए कि हमें शरीर को स्थिर कयों करना है अर्थात उनको ज्ञान होना चाहिए कि मुझे ऐसा कयों करना चाहिए और ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए।
बच्चों को बेन्च पर बैठे-बैठे पैर हिलाने की आदत, चारों तरफ अकारण देखते रहने की आदत, कलम अर्थात पेन घुमाने की आदत आदि से मज़बूर हो गए होते हैं। यानि वें मस्ती करते रहते हैं।
यदि उसे पता हो कि कहाँ मस्ती करनी चाहिए और कहाँ मस्ती नहीं करनी चाहिए तथा क्यों? इस प्रश्न को वे भली-भाँति समझते हो तो वह छात्र पढ़ाई में जाग्रत रहता हैं।
इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु कक्षा 8वी ब में—
“कहाँ मस्ती करनी चाहिए तथा कहाँ मस्ती नहीं करनी चाहिए, तथा क्यों ?”—इस विषय पर दिनांक 17 जून से 23 जून 2012 के मध्य एक सप्ताह तक वाद-विवाद ( Debate ) का आयोजन किया गया।
संपूर्ण वर्ग के 32 बच्चों को पाँच जूथों में विभाजित किया गया। संपूर्ण प्रवृत्ति का आयोजन विषय शिक्षक श्री मुकेशभाई जोशी के मार्गदर्शन में गतिशील रहा।
वाद-विवाद के अंत में जो निष्कर्ष निकला उसके कुछ मुद्दे निम्नलिखित हैं—
1. वर्गखंड में मस्ती में नहीं करनी चाहिए, क्योकि उससे हमारी एकाग्रता में बाधा आती है तथा पढ़ाई पर असर पड़ता है।
2. प्रार्थना कक्ष में दैवत्व अर्थात भक्ति का वातावरण होता हैं, जहाँ पर हमें भगवान के आशिष प्राप्त होते हैं, अत: वहाँ शिस्त (अदब) अति आवश्यक है।
3. भोजनालय में यदि एकाग्रता से शांतिपूर्वक भोजन करते हैं तो पाचक रस का निर्माण अधिक होता है, जिससे हमारा भोजन सुपाच्य बनता है।
4. छात्रालय में अवकाश के समय(Free Time) तथा खेल के मैंदान में जब सिर्फ़ समय व्यतीत करने के उद्देश्य से खेल रहे हो, तब किसी को शारीरिक या मानसिक हानि न पहुँचे इस तरह शिस्तता का पालन करते हुए मस्ती कर सकते हैं।
इस प्रकार बच्चों ने आनंद लेते हुए ज्ञान प्राप्त किया तथा आचरण में लेने का निर्णय लिया।
ગણેશ ચતુર્થી મહોત્સવ 2012
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निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु
सर्वदा ||
છે તેવા વિઘ્નહર્તા
મંગલમૂર્તિના અવતરણનો દિવસ એટલે ગણેશ ચતુર્થી. ભાદરવા માસની ચતુર્થીના
દિવસથી અનંત ચૌદસ સુધી એટલે કે દસ દિવસ સુધી ગણેશોત્સવ મનાવવામાં આવે છે. જોગાનુંજોગ
ઘણા વર્ષો પછી આ વર્ષે ગણેશચતુર્થી બુધવારે આવી હતી. દરવર્ષની જેમ આ વર્ષે પણ
આત્મીય વિદ્યા મંદિરમાં ગણેશચતુર્થી મહોત્સવ ખૂબ ધામધૂમથી ઉજવવામાં આવ્યો હતો.
19-09-2012 ના દિવસે સાંજે 4:30 કલાકે શુભ ચોઘડિયામાં ગણેશ ભગવાનની મૂર્તિની
સ્થાપના કરવામાં આવી હતી. ગજાનંનનું સ્થાપના-પૂજન મુખ્ય યજમાન શ્રીમાન રાજેન્દ્રભાઈ ગીરાસે દ્વારા
કરવામાં આવ્યું. ખૂબ જ શ્રદ્ધા અને ભક્તિભાવથી આચાર્ય પુષ્પક જોષી દ્વારા પૂજનવિધિ
કરવામાં આવી હતી. જેમાં વૈદોક્ત મંત્રો સાથે પૂજન કર્યું તથા ગોળના પાણીથી ભગવાન લંબોધરનો
અભિષેક કરવામાં આવ્યો. ત્યારબાદ શ્રી ગણેશજીનું શાસ્ત્રોક્ત પૂજન, આરતી, ઈત્યાદિ
આરાધના સશ્રદ્ધ રીતે કરવામાં આવી અને પ્રસાદ વિતરણ થયું.
આમ, પાંચ દિવસ સુધી
ગણેશજીની પૂજા, અર્ચના, આરતી, ભજન કિર્તન વગેરે કરવામાં આવ્યું. અંતે વિદાયની વેળા
આવી. તારીખ 24-09-2012 ના રોજ સાંજે 4:00 કલાકે ખૂબ જ ધૂમધામથી ગણપતિનો વરઘોડો
કાઢવામાં આવ્યો અને આત્મીય વિદ્યા મંદિરના પટાંગણમાં ફેરવવામાં આવ્યો. સાંજે 6:30
કલાકે ભારે હૈયે ગણપતિજીનું વિસર્જન કરીને ભાવભીની વિદાય આપવામાં આવી.
આવા અષ્ટવિનાયક સુખ કરતા, દુ:ખ હરતા, વિઘ્ન વિનાયક
ગણપતિ દેવને કોટિ કોટિ વંદન !!!
ગૌતમ સર
National Institute of Design (NID) Admissions 2013-14
/0 Comments/in Career /by AVM TeachersStd 10: वाद-विवाद: “मीठी वाणी का प्रयोग कहाँ करना चाहिए कहाँ नहीं”
/0 Comments/in 21st Century Skills, AVM Updates, Value Based Education /by AVM Teachersसंपूर्ण वर्ग के 35 बच्चों को पाँच जूथों में विभाजित किया गया। संपूर्ण प्रवृत्ति का आयोजन विषय शिक्षक श्री मुकेशभाई जोशी के मार्गदर्शन में गतिशील रहा।
Std 9: नाट्य – “गिल्लू”
/0 Comments/in 21st Century Skills, AVM Updates /by AVM Teachersकक्षा 9वीं अ तथा 9वीं ब के 32 बच्चों को चार जूथों में विभाजित किया गया। संपूर्ण प्रवृत्ति का आयोजन विषय शिक्षक श्री मुकेशभाई जोशी के मार्गदर्शन में गतिशील रहा।
Std 8: वाद-विवाद—“कहाँ मस्ती करनी चाहिए तथा कहाँ मस्ती नहीं करनी चाहिए, तथा क्यों ?”
/0 Comments/in 21st Century Skills, AVM Updates, Value Based Education /by AVM Teachersसर्वप्रथम शरीर का स्थिर होना ज़रुरी है। एक संत ने कहा है—
“ तन स्थिर मन स्थिर”
अर्थात मन को स्थिर करना हो तो प्रथम तन यानि शरीर की चंचलता को स्थिर करना पड़ेगा और शरीर को स्थिर करने के लिए छात्रों को यह ज्ञान होना चाहिए कि हमें शरीर को स्थिर कयों करना है अर्थात उनको ज्ञान होना चाहिए कि मुझे ऐसा कयों करना चाहिए और ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए।
बच्चों को बेन्च पर बैठे-बैठे पैर हिलाने की आदत, चारों तरफ अकारण देखते रहने की आदत, कलम अर्थात पेन घुमाने की आदत आदि से मज़बूर हो गए होते हैं। यानि वें मस्ती करते रहते हैं।
यदि उसे पता हो कि कहाँ मस्ती करनी चाहिए और कहाँ मस्ती नहीं करनी चाहिए तथा क्यों? इस प्रश्न को वे भली-भाँति समझते हो तो वह छात्र पढ़ाई में जाग्रत रहता हैं।
इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु कक्षा 8वी ब में—
“कहाँ मस्ती करनी चाहिए तथा कहाँ मस्ती नहीं करनी चाहिए, तथा क्यों ?”—इस विषय पर दिनांक 17 जून से 23 जून 2012 के मध्य एक सप्ताह तक वाद-विवाद ( Debate ) का आयोजन किया गया।
संपूर्ण वर्ग के 32 बच्चों को पाँच जूथों में विभाजित किया गया। संपूर्ण प्रवृत्ति का आयोजन विषय शिक्षक श्री मुकेशभाई जोशी के मार्गदर्शन में गतिशील रहा।
वाद-विवाद के अंत में जो निष्कर्ष निकला उसके कुछ मुद्दे निम्नलिखित हैं—
1. वर्गखंड में मस्ती में नहीं करनी चाहिए, क्योकि उससे हमारी एकाग्रता में बाधा आती है तथा पढ़ाई पर असर पड़ता है।
2. प्रार्थना कक्ष में दैवत्व अर्थात भक्ति का वातावरण होता हैं, जहाँ पर हमें भगवान के आशिष प्राप्त होते हैं, अत: वहाँ शिस्त (अदब) अति आवश्यक है।
3. भोजनालय में यदि एकाग्रता से शांतिपूर्वक भोजन करते हैं तो पाचक रस का निर्माण अधिक होता है, जिससे हमारा भोजन सुपाच्य बनता है।
4. छात्रालय में अवकाश के समय(Free Time) तथा खेल के मैंदान में जब सिर्फ़ समय व्यतीत करने के उद्देश्य से खेल रहे हो, तब किसी को शारीरिक या मानसिक हानि न पहुँचे इस तरह शिस्तता का पालन करते हुए मस्ती कर सकते हैं।
इस प्रकार बच्चों ने आनंद लेते हुए ज्ञान प्राप्त किया तथा आचरण में लेने का निर्णय लिया।
-हिन्दी शिक्षक मुकेशभाई जोशी
Std 8: वर्ग-प्रवृत्ति— ‘पत्र-लेखन’
/0 Comments/in 21st Century Skills, AVM Updates, Value Based Education /by AVM Teachersइस प्रकार बच्चों ने आनंद लेते पत्र लिखा तथा वें उत्साह के साथ पत्रों के प्रत्युत्तर की प्रतिक्षा करते हुए आनंद लेते हुए पढ़ाई में व्यस्त हो रहे हैं।
हिन्दी गुजराती प्रतियोगिता 2012
/0 Comments/in 21st Century Skills, AVM Updates /by AVM Teachersकार्यक्रम का प्रारंभ भगवान के पूजन से किया गया। इस संपूर्ण कार्यक्रम को पाँच प्रतियोगिताओं में विभाजित किया गया:
सभी विद्यार्थी इस प्रतियोगिताओं में सरस डूबे हुए थें। इस संपूर्ण कार्यक्रम में ध्यानाकर्षक तथ्य यह था कि इन सभी स्पर्धाओं का संचालन छात्रों ने स्वयं किया था, जो आज के वर्तमान में एक छात्र के लिए उत्कृष्ट बात है, क्योंकि यही छात्र आगे चलकर एक जागृत नागरिक बन समाज के नेतृत्व में अपना योगदान देकर एक सच्चा नागरिक होने की महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा। ऐसे छात्रों का बीजाँकुरण आत्मीय विद्यामंदिर में हो रहा है यह आत्मीय विद्यामंदिर के छात्रों एवं स्वयं पाठशाला तथा समाज के लिए एक गौरव की बात है।
धन्यवाद सह,
हिन्दी शिक्षक मुकेशभाई जोशी
सह हिन्दी एवं गुजराती शिक्षकगण।
Sketch of a legend
/0 Comments/in Students' Creations /by AVM Students5 AVM students selected for state level skating competition!
/0 Comments/in AVM Updates, Sports /by AVM TeachersThere were total of 150 participating students at district level tournament. Out of these 150 students, 24 students were to be selected for the further participation at the state level. Hard work of the students and the coach of AVM paid off as 5 students were selected for this prestigious competition.
Following is the list of students selected for the state level competition:
Coach :- Mr. Mitesh Sir
Sports In Charge:- Mr. Ramakar Dubey
Submitted by: The AVM Sports Team
BSc Nursing: vacant seats in Maharashtra
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