“संत की चिंता विद्यार्थी की प्रगति”
आत्मीय विद्यामंदिर के प्राण समान श्री हरिप्रसाद स्वामिजी हरिधाम में भक्तो से गोष्ठि कर उनकी समस्याओं का समाधान करने वलसाड़ जा रहे थें। जाते हुए रास्ते में स्वामिजी बार-बार आत्मीय विद्यामंदिर के बच्चों को याद कर रहे थे तथा अनायास ही निर्णय ले लिया कि वें बच्चों से मिलना चाहते है, वें बच्चों के दर्शन […]