यह पवित्र भारत भूमि देवताओं और संत महात्माओं के अवतरण की भूमि रही हैं| भगवान का जब अपनी लीला पूर्ण करके जाने का समय आता है तब वह ऐसे संतों को इस धरा पर अवतरित करते हैं जो समाज को सही राह और दिशा दे सकें| समाज का मूल आध्यात्मिकता है और सभी लोग इस आध्यात्मिकता को अपने जीवन में उतारें और प्रभु के महत्व को समझें इसी उद्देश्य से ही संत समाज की सेवा करते हैं|

भारतवर्ष में ऐसे ही एक अदभूत संत, अक्षरब्रह्म गुणातीतानंद स्वामीजी हुए| जिन्होंने आत्मा–परमात्मा का ज्ञान, धर्म का ज्ञान दृढ़ हो ऐसा उपदेश अपनी बातों में दिया है| उनकी बातों का उद्देश्य यहि है कि हमे परम शांति की प्राप्ति हो, परमात्मा का साथ मिले और उनकी अनुभूति हो|

अक्षरमूर्ति गुणातीतानंद स्वामीजी की बातें मतलब ब्रह्म के सूत्र| उनकी बातें मतलब श्रीजी महाराज के ‘वचनामृत’ पर की गई बातें| उनकी बातों का महत्व बताते हुए स्वामीजी ने कहा है कि “यह तो अक्षरधाम की बातें हैं और यह बातें दूसरा जन्म ही न होने दे और मन में जो संशय चल रहा हो उसे दूर करके ज्ञान का प्रकाश फैलाएँ ऐसी बातें हैं|

गुणातीतानंद स्वामीजी ने अपनी बातों में भगवान, संत के महात्म्य और संत समागम की बातें की हैं| उन्होंने कहा है कि भगवान एवं संत की महिमा की बातें हमेशा करते रहना चाहिए|

अक्षरब्रह्म गुणातीतानंद स्वामीजी की बातों को सुंदरम् सदन ने सृजनात्मक सभा के माध्यम से कक्षा 1 से 10 वीं के छात्रों ने प्रस्तुत किया| स्वामीजी की बातों को छात्र आसानी से समझ सकें, उनकी बातों को अपने जीवन में आसानी से ग्रहण कर सकें इस उद्देश्य से संपूर्ण सप्ताह के दौरान सुंदरम सदन के छात्रों ने गुणातीतान्द स्वामी के विचारों एवं उनके जीवन के कुछ प्रेरणात्मक प्रसंगों को प्रस्तुत किया| सप्ताह के अंत में विशेष प्रार्थना सभा द्वारा छात्रों ने गुणातीतानंद स्वामीजी के कुछ मुख्य प्रसंग जैसे कि – ‘श्रीजी महाराज द्वारा गुणातीतानंद स्वामीजी का दीक्षा समारोह’, ‘विविध संतों का महात्म्य’ , ‘गुणातीतानंद स्वामीजी के दासत्व की उच्च श्रेणी’ को उच्च अभिनय और नृत्य कला द्वारा प्रस्तुत किया था|

सुंदरम् सदन की इस सृजनात्मक सभा को सफल बनाने के लिए संस्था के सभी सदस्यों का योगदान रहा है| सुंदरम् सदन इन सभी सदस्यों का ह्रदय से कृतज्ञता ज्ञापन करता है|

Sundaram House Team