ह्लाद’ संस्कृत भाषा का शब्द है । ह्लाद शब्द में आ तथा प्र उपसर्ग का प्रयोग करने पर शब्द बनते है: आह्लाद एवं प्रह्लाद जिनका अर्थ होता है आनंद, उल्लास, प्रेम आदि।
होला अर्थात् मुरझा कर सुखी हुई ज्वलनशील लकड़ी जो जलन , इर्ष्या द्वेश का प्रतीक है।
सदियों से प्रह्लाद को भस्म करने में असफल होलीका का इस वर्ष भी दहन कर के आत्मीय विद्यामंदिर में शागिर्दों के लिए “धूर्तमेव पराजयते” का पाठ दोहराया गया।
यशोमति मैया से बोले नंदलाला , राधा क्यों गोरी, मैं क्यों काला ???
माना जाता है कि उपरोक्त प्रश्न को बार-बार पूछे जाने पर यशोदा मैया ने कान्हा से कह दिया कि ‘जा जो रंग तू चाहता है, वो राधा के चेहरे पर लगा दे। कान्हा ने वैसा ही किया और उस दिन से धूलंडी का पर्व प्रचलन में आया।
किंतु गौरतलब है कि इस बार इम्तिहान को मद्देनज़र रखते हुए तमाम तालीमार्थी अलिफ़(अक्षर) के रंग में ही रंगे नज़र आए।
********।।रंगों भरी शुभकामानएं।।********
लेखक:  पुष्पक सर 

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