Std 10: वाद-विवाद: “मीठी वाणी का प्रयोग कहाँ करना चाहिए कहाँ नहीं”

“मीठी वाणी का प्रयोग कहाँ करना चाहिए कहाँ नहीं”—इस विषय पर दिनांक 22 जुलाई 2012 के मध्य एक सप्ताह तक वाद-विवाद ( Debate ) का आयोजन किया गया।

संपूर्ण वर्ग के 35 बच्चों को पाँच जूथों में विभाजित किया गया। संपूर्ण प्रवृत्ति का आयोजन विषय शिक्षक श्री मुकेशभाई जोशी के मार्गदर्शन में गतिशील रहा।

Std 9: नाट्य – “गिल्लू”

“गिल्लू”—पाठ के आधार पर पर दिनांक 16 जुलाई से 22 जुलाई 2012 के मध्य एक सप्ताह तक नाट्य का आयोजन किया गया।

कक्षा 9वीं अ तथा 9वीं ब के 32 बच्चों को चार जूथों में विभाजित किया गया। संपूर्ण प्रवृत्ति का आयोजन विषय शिक्षक श्री मुकेशभाई जोशी के मार्गदर्शन में गतिशील रहा।

 

Std 8: वाद-विवाद—“कहाँ मस्ती करनी चाहिए तथा कहाँ मस्ती नहीं करनी चाहिए, तथा क्यों ?”

आज के समय में व्यक्ति का मन अधिक फैल रहा है। वह धीरे-धीरे अधिक चंचल होता जा रहा है। छात्रों की एकाग्रता कम हो रही है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पढ़ाई में एकाग्रता अत्यंत आवश्यक है। मन की एकाग्रता के लिए

सर्वप्रथम शरीर का स्थिर होना ज़रुरी है। एक संत ने कहा है—

“ तन स्थिर मन स्थिर”

अर्थात मन को स्थिर करना हो तो प्रथम तन यानि शरीर की चंचलता को स्थिर करना पड़ेगा और शरीर को स्थिर करने के लिए छात्रों को यह ज्ञान होना चाहिए कि हमें शरीर को स्थिर कयों करना है अर्थात उनको ज्ञान होना चाहिए कि मुझे ऐसा कयों करना चाहिए और ऐसा क्यों नहीं करना चाहिए।

बच्चों को बेन्च पर बैठे-बैठे पैर हिलाने की आदत, चारों तरफ अकारण देखते रहने की आदत, कलम अर्थात पेन घुमाने की आदत आदि से मज़बूर हो गए होते हैं। यानि वें मस्ती करते रहते हैं।

यदि उसे पता हो कि कहाँ मस्ती करनी चाहिए और कहाँ मस्ती नहीं करनी चाहिए तथा क्यों? इस प्रश्न को वे भली-भाँति समझते हो तो वह छात्र पढ़ाई में जाग्रत रहता हैं।

इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु कक्षा 8वी ब में—

“कहाँ मस्ती करनी चाहिए तथा कहाँ मस्ती नहीं करनी चाहिए, तथा क्यों ?”—इस विषय पर दिनांक 17 जून से 23 जून 2012 के मध्य एक सप्ताह तक वाद-विवाद ( Debate ) का आयोजन किया गया।

संपूर्ण वर्ग के 32 बच्चों को पाँच जूथों में विभाजित किया गया। संपूर्ण प्रवृत्ति का आयोजन विषय शिक्षक श्री मुकेशभाई जोशी के मार्गदर्शन में गतिशील रहा।

वाद-विवाद के अंत में जो निष्कर्ष निकला उसके कुछ मुद्दे निम्नलिखित हैं—

1. वर्गखंड में मस्ती में नहीं करनी चाहिए, क्योकि उससे हमारी एकाग्रता में बाधा आती है तथा पढ़ाई पर असर पड़ता है।

2. प्रार्थना कक्ष में दैवत्व अर्थात भक्ति का वातावरण होता हैं, जहाँ पर हमें भगवान के आशिष प्राप्त होते हैं, अत: वहाँ शिस्त (अदब) अति आवश्यक है।

3. भोजनालय में यदि एकाग्रता से शांतिपूर्वक भोजन करते हैं तो पाचक रस का निर्माण अधिक होता है, जिससे हमारा भोजन सुपाच्य बनता है।

4. छात्रालय में अवकाश के समय(Free Time) तथा खेल के मैंदान में जब सिर्फ़ समय व्यतीत करने के उद्देश्य से खेल रहे हो, तब किसी को शारीरिक या मानसिक हानि न पहुँचे इस तरह शिस्तता का पालन करते हुए मस्ती कर सकते हैं।

इस प्रकार बच्चों ने आनंद लेते हुए ज्ञान प्राप्त किया तथा आचरण में लेने का निर्णय लिया।

 

-हिन्दी शिक्षक मुकेशभाई जोशी

Std 8: वर्ग-प्रवृत्ति— ‘पत्र-लेखन’

आज के समय में व्यक्ति एस.एम.एस. एवं इ-मेल में व्यस्त है। सभी के जीवन से पत्र-लेखन विसरता जा रहा है। तो आज भी एस.एम.एस. एवं इ-मेल कि दुनियाँ में पत्रों का उपयोग कम होने के बावजूद पत्रों का अपना अलग ही महत्व हैं ।
इसकी उपयोगीता एवं जीवन में पत्रों की महत्वता बताते हुए दिनांक 08 अगस्त 2012 से 10 अगस्त 2012 के मध्य हिन्दी विषय शिक्षक श्री मुकेश जोशी के मार्गदर्शन में 8वीं कक्षा के ‘ब’ वर्ग में प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया तत्पश्चात उन्होंने अपने-अपने परिवार को पत्र लिखा एवं पत्रों में बच्चों ने अपने-अपने माता-पिता से बिनती की कि प्रत्युत्तर में वें भी ऐसे ही पत्र (POST CARD) में पारिवारिक बातें एवं विचार लिखकर बच्चों का उत्साह बढ़ाएँ।

इस प्रकार बच्चों ने आनंद लेते पत्र लिखा तथा वें उत्साह के साथ पत्रों के प्रत्युत्तर की प्रतिक्षा करते हुए आनंद लेते हुए पढ़ाई में व्यस्त हो रहे हैं। 

– शिक्षक श्री मुकेश जोशी

हिन्दी गुजराती प्रतियोगिता 2012

आत्मीय विद्यामंदिर में 1 सितम्बर 2012 शनिवार को सुबह 11:20 से दोपहर 01:10 तक प्रार्थनाकक्ष के स्पर्धा-मंच पर हिन्दी-गुजराती प्रतियोगिता (Hindi-Gujarati Competition 2012) का आयोजन हिन्दी शिक्षकगण श्री. मुकेशभाई जोशी, श्री पुष्पक जोशी, श्रीमति संगीता दूबे एवं गुजराती शिक्षकगण श्री गौतम पटेल, श्रीयुक्ता वैदेही बहन, श्रीयुक्ता रेखाबहन के मार्गदर्शन में किया गया।

कार्यक्रम का प्रारंभ भगवान के पूजन से किया गया। इस संपूर्ण कार्यक्रम को पाँच प्रतियोगिताओं में विभाजित किया गया:

  1. कक्षा 1,2 के लिए गुजराती में दृश्य-श्राव्य प्रक्षेपण संसाधन द्वारा प्रश्नोत्तरी प्रस्तुतिकरण,
  2. कक्षा 3,4,5 के लिए गुजराती में दृश्य-श्राव्य प्रक्षेपण संसाधन द्वारा प्रश्नोत्तरी प्रस्तुतिकरण,
  3. कक्षा 6,7,8 के लिए हिन्दी में दृश्य-श्राव्य प्रक्षेपण संसाधन द्वारा “भ्रष्टाचार” विषय पर प्रस्तुतिकरण,
  4. कक्षा 9 के लिए गुजराती में “हूँ मानवी मानव थाऊँ तोय घणुं” विषय पर वकृत्व-स्पर्धा,
  5. कक्षा 10 के लिए हिन्दी में “अच्छे पुस्तक मेरे सच्चे मित्र” विषय पर वकृत्व-स्पर्धा।

सभी विद्यार्थी इस प्रतियोगिताओं में सरस डूबे हुए थें। इस संपूर्ण कार्यक्रम में ध्यानाकर्षक तथ्य यह था कि इन सभी स्पर्धाओं का संचालन छात्रों ने स्वयं किया था, जो आज के वर्तमान में एक छात्र के लिए उत्कृष्ट बात है, क्योंकि यही छात्र आगे चलकर एक जागृत नागरिक बन समाज के नेतृत्व में अपना योगदान देकर एक सच्चा नागरिक होने की महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा। ऐसे छात्रों का बीजाँकुरण आत्मीय विद्यामंदिर में हो रहा है यह आत्मीय विद्यामंदिर के छात्रों एवं स्वयं पाठशाला तथा समाज के लिए एक गौरव की बात है।

धन्यवाद सह,

हिन्दी शिक्षक मुकेशभाई जोशी
सह हिन्दी एवं गुजराती शिक्षकगण

Sketch of a legend

By: Raj Hadvaid (10A)