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Std 9: नाट्य – “गिल्लू”

“गिल्लू”—पाठ के आधार पर पर दिनांक 16 जुलाई से 22 जुलाई 2012 के मध्य एक सप्ताह तक नाट्य का आयोजन किया गया। कक्षा 9वीं अ तथा 9वीं ब के 32 बच्चों को चार जूथों में विभाजित किया गया। संपूर्ण प्रवृत्ति का आयोजन विषय शिक्षक श्री मुकेशभाई जोशी के मार्गदर्शन में गतिशील रहा।  

Std 8: वाद-विवाद—“कहाँ मस्ती करनी चाहिए तथा कहाँ मस्ती नहीं करनी चाहिए, तथा क्यों ?”

आज के समय में व्यक्ति का मन अधिक फैल रहा है। वह धीरे-धीरे अधिक चंचल होता जा रहा है। छात्रों की एकाग्रता कम हो रही है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पढ़ाई में एकाग्रता अत्यंत आवश्यक है। मन की एकाग्रता के लिए सर्वप्रथम शरीर का स्थिर होना ज़रुरी है। एक संत ने कहा […]

Std 9: नाट्य – “गिल्लू”

“गिल्लू”—पाठ के आधार पर पर दिनांक 16 जुलाई से 22 जुलाई 2012 के मध्य एक सप्ताह तक नाट्य का आयोजन किया गया। कक्षा 9वीं अ तथा 9वीं ब के 32 बच्चों को चार जूथों में विभाजित किया गया। संपूर्ण प्रवृत्ति का आयोजन विषय शिक्षक श्री मुकेशभाई जोशी के मार्गदर्शन में गतिशील रहा।  

Std 8: वाद-विवाद—“कहाँ मस्ती करनी चाहिए तथा कहाँ मस्ती नहीं करनी चाहिए, तथा क्यों ?”

आज के समय में व्यक्ति का मन अधिक फैल रहा है। वह धीरे-धीरे अधिक चंचल होता जा रहा है। छात्रों की एकाग्रता कम हो रही है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पढ़ाई में एकाग्रता अत्यंत आवश्यक है। मन की एकाग्रता के लिए सर्वप्रथम शरीर का स्थिर होना ज़रुरी है। एक संत ने कहा […]