“जहाँ भक्ति का दीप जलता है,
वहाँ प्रेम और प्रसाद का सागर उमड़ता है |”
भारत त्योहारों का देश है | यहाँ हर वर्ष अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व मनाए जाते हैं | इन्हीं में से एक है अन्नकूट उत्सव, जो गोवर्धन पूजा के दूसरे दिन मनाया जाता है | यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की कृपा और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है | इस दिन अन्न का विशेष महत्व होता है, इसलिए इसे अन्नकूट यानी अन्न का पर्व कहा जाता है | इस पर्व के लिए ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के अभिमान को तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत की पूजा करवाई थी और उसी दिन से अन्नकूट मनाने की परंपरा शुरू हुई | इस दिन लोग अनेक प्रकार के अन्न और पकवान बनाकर भगवान को भोग लगाते हैं | मंदिरों में सुंदर अन्नकूट सजाया जाता है और सबमें प्रसाद बाँटा जाता है |
अन्नकूट उत्सव के महत्त्व को दर्शाते हुए परम पूज्य स्वामीश्री ने कहा था कि – “अहंकार का अर्पण ही सही अन्नकूट उत्सव है |” आज के दिन हमें हमारे अंदर विद्यमान अहं को भगवान के चरणों में समर्पित करना है | इसी बात को ध्यान में रखते हुए आत्मीय विद्या मंदिर परिसर में दिनांक- 10 अक्टूबर 2025 को अन्नकूट उत्सव बड़े ही हर्षोल्लास और धार्मिक भावना के साथ मनाया गया | साथ में परम पूज्य हरिप्रसाद स्वामीजी की भागवती दीक्षा की 60वीं जयंती भी बड़े हर्ष और श्रद्धा के साथ मनाई गई । इस अवसर पर विद्यालय के मंदिर परिसर में विशेष सजावट की गई थी | विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अन्य आत्मीय स्वजनों ने मिलकर भक्ति एवं अर्पण की भावना से विविध व्यंजन तैयार किए और संपूर्ण परिसर में भक्ति, उत्साह और आनंद का वातावरण छा गया | इस कार्यक्रम का संचालन आदरणीय प्रभुमग्न सर ने किया था | उन्होंने अन्नकूट पर्व के महत्त्व को बताया और उसकी पौराणिक कथा से सभी को अवगत किया | कार्यक्रम के प्रारंभ में सम्मानीय प्राचार्य महोदय श्री डॉ. विजय सर एवं अतिथियों ने ठाकुरजी की पूजा-अर्चना की तत्पश्चात पूज्य सुहृद स्वामीजी ने अन्नकूट उत्सव के महत्त्व को सभी के सामने रखा | उन्होंने परम पूज्य हरिप्रसाद स्वामीजी की परावाणी को याद करते हुए बताया कि अन्नकूट पर्व में हमें अपने अहंकार का अर्पण करना है | पूज्य सुहृद स्वामीजी ने सभा में बैठे सभी स्वजनों को हाथ जोड़कर स्वामीजी से प्रार्थना करने के लिए कहा और सभी ने मिलकर परम पूज्य स्वामीजी से प्रार्थना की | पूज्य सुहृद स्वामीजी ने आशीर्वचन में गुरुहरि प्रबोधजीवन स्वामीजी द्वारा बताई गई बात छात्रों को बताई और कहा कि हमें कम से कम 70 प्रतिशत लाने का जो लक्ष्य मिला है वह परिपूर्ण करना ही है |
अन्नकूट पर्व में आनंद का क्षण तब आया जब श्री गुरुहरि ने फ़ोन के माध्यम से सभी को दर्शन दिए | उन्होंने ठाकुरजी को लगाए गए विविध व्यंजनों के भोग को निहारते हुए विशेष प्रसन्नता दिखाई | उन्होंने परावाणी में यह बात बताई कि हमें हर एक दिन को नए साल के रूप में मनाना है | श्री गुरुहरि ने प्रसंग के अनुरूप छात्रों से बात की और कहा कि हमें पढाई में जो प्रतिशत लाने का लक्ष्य मिला है वह हाँसिल करना ही है | कार्यक्रम के अंत में सभी स्वजनों ने मिलकर ठाकुरजी को लगाए गए विविध व्यंजनों के भोग का दर्शन किया और साथ में मिलकर प्रसाद लिया |
सच में इस पर्व से पूरे विद्यालय में आनंद, श्रद्धा और संतोष की लहर दौड़ गई | यह दिन सभी के लिए भक्ति, सेवा और अर्पण की अमिट स्मृति बन गया | अन्नकूट जैसे उत्सव हमें एकता, सहयोग और सेवा का संदेश देते हैं | यह पर्व हमारी संस्कृति और परंपरा की अमूल्य धरोहर है |
कमलेश सर


