प्रकृति और मनुष्य का संबंध अन्योन्याश्रित और अटूट है, क्योंकि मनुष्य प्रकृति पर जीवनदायिनी तत्वों जैसे हवा, पानी और भोजन के लिए निर्भर है, वहीं प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने और स्वस्थ जीवन के लिए उसका सम्मान करना मनुष्य का कर्तव्य है | प्रकृति हमें जीवन की सीख देती है और सुंदरता प्रदान करती है लेकिन मानव की स्वार्थी उपभोगवादी प्रवृत्ति और पर्यावरण प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है, जिससे विनाश और अकाल जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं. इसलिए, मानव को प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर उसका संरक्षण करना अत्यंत आवश्यक है |
इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु आत्मीय विद्यामंदिर में दिनांक 30 अगस्त 2025 शनिवार को दोपहर 02:10 को स्पर्धा का आयोजन किया गया |
सभी स्पर्धकों को चार जूथ में विभाजित किया गया :
- कक्षा 1 से 3 का जूथ
- कक्षा 4 से 6 का जूथ
- कक्षा 7 से 8 का जूथ
- कक्षा 9 से 10 का जूथ
जिसमे प्रथम जूथ में कक्षा 1 से 3 के स्पर्धकों ने प्रकृति से सम्बंधित विविध चित्रों द्वारा बनी पहेली को सभी सभ्य एकता से सुलझाकर आनंदित हुए |
द्वीतीय जूथ में कक्षा 4 से 6 के स्पर्धकों ने पत्ते, टहनियाँ, बीज और फूल जैसी प्राकृतिक सामग्रियों उपयोग कर प्रकृति से प्रेरित विविध आकारों एवम चित्रों का निर्माण कर अपनी रचनात्मकता दिखाई |
तथापि तृतीय जूथ में कक्षा 7 से 8 के छात्रों ने प्रकृति सम्बंधित ध्वनि, जलवायु परिवर्तन और कृषि जैसे विषयों पर प्रश्नावली द्वारा एवं आँखों पर पट्टी बाँधकर प्रकृति − जड़ी-बूटियों और पौधों को सूंघकर, छूकर और चखकर उनकी पहचान द्वारा प्रकृति के प्रति कितने जाग्रत हैं उसका परिचय करवाया |
उसी प्रकार 9 एवं 10 के छात्रों ने भी आँखों पर पट्टी बाँधकर प्रकृति − जड़ी-बूटियों और पौधों, गरम मसलों फलों इत्यादि को सूंघकर, छूकर और चखकर उनकी पहचान करना एवं एक जैसे दिखने वाले दो अलग-अलग चित्र दिखाकर जिसमें कुल 12 तफावत ढूँढने थे इन सभी प्रवृत्तियों द्वारा प्रकृति के साथ एवं सानिध्य का प्रदर्शन कर खेलों में रस के साथ हिस्सा लेकर स्पर्धा को जीवंत बना दिया |
इन स्पर्धाओं का उद्देश्य ही यही हैं कि व्यक्ति को प्रकृति की सुंदरता और सानिध्य से मनुष्य को मानसिक शांति और ताजगी मिलती है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए मत्त्वपूर्ण है |
सभी छात्रों ने उत्साह के साथ स्पर्धाओं में हिस्सा लेकर प्रकृति और मनुष्य का संबंध अन्योन्याश्रित और अटूट है यह प्रमाणित कर दिखाया |
Mukesh Sir


