मानव जीवन एक अनमोल उपहार है | यह जीवन हमें भगवान का स्मरण करने और उनके चरणों में समर्पण भाव से लीन होने का अवसर देता है | भगवान की भक्ति और उनका नाम स्मरण करना ही इस जीवन का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए | श्रीमद्भागवत के अनुसार यह समय न केवल भौतिक जीवन जीने का है, बल्कि अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊँचाइयों तक पहुँचाने का भी है | मनुष्य का जन्म केवल सांसारिक सुखों का भोग करने के लिए नहीं हुआ है | इसे हम साधारण कर्मों में नष्ट नहीं कर सकते, क्योंकि मानव जीवन एक अनमोल अवसर है जो हमें आत्मज्ञान और भगवान के सानिध्य की प्राप्ति के लिए दिया गया है | श्रीरामचरितमानस में कहा गया है – “धन्य जन्म मुनि सुनत पितु माता | परम भाग्य तात परिपाता |” अर्थात – जिसका जन्म भगवान की भक्ति के लिए हुआ हो, वह जीवन धन्य है | ईश्वर का भजन अत्यंत सुगम है | गीता में कहा है –

अनन्यचेता: सततं यो मां स्मरति नित्यशः |

तस्याहं सुलभ: पार्थ नित्ययुक्तस्य योगिन: ||

जीवन में जब तक भोजन की जरूरत है तब तक भजन जरूरी है | जैसे भोजन से शरीर स्वस्थ रहता है वैसे ही भजन से मन तंदुरुस्त रहता है | भजन मन की खुराक है | जिस मन को भजन का आहार नहीं मिलता वह बीमार होकर विषयासक्त हो जाता है जिसका मन भजन में लगा है, वह भगवान से जुदा नहीं हो सकता | शिक्षा में छात्रों को विषय ज्ञान के साथ आध्यात्मिक ज्ञान दिया जाए तो वे छात्र बहुत ही तेजस्वी होगें | शिक्षा का मूल उद्देश्य छात्रों का व्यक्तित्व, आध्यात्मिक, मानसिक, सामाजिक विकास एवं चरित्र निर्माण हो | इस तरह तैयार हुए छात्र अपने कर्तव्य को समझकर समाज को उन्नत बनाने का प्रयत्न कर सकते हैं |

आत्मीय विद्या मंदिर एक ऐसा विद्यालय है जहाँ पर छात्रों के भीतर विद्यमान सुषुप्त शक्तियों को बाहर लाने का निरंतर प्रयास होता रहता है | शिक्षा के मूल उद्देश्यों की पूर्ति हेतु विद्यालय में पूरे साल विविध सदनों द्वारा अनेक सृजनात्मक संवादों का आयोजन किया जाता है | इन संवादों से छात्रों का बौद्धिक, शारीरिक, सामाजिक, आध्यात्मिक विकास होता है | छात्रों के सर्वांगी विकास हेतु विद्यालय में दिनांक – 10 दिसम्बर  2024 की शाम सत्यम् सदन की तरफ़ से बहुत ही प्रेरणादायक संवाद प्रस्तुत किया गया | जिसका शीर्षक था प्रभु का बल : “भजन”, विषय ही ऐसा था कि छात्र आध्यात्मिक रंग में रंग जाए |

सत्यम् सदन के छात्रों के पास जब यह सुनहरा अवसर आया कि भगवान के भजन की शक्ति का संदेश छात्रों तक संवाद के माध्यम से पहुँचाना है तो सदन का हर एक विद्यार्थी इसकी तैयारी में लग गया | संवाद की पटकथा ही ऐसी थी कि छात्र उसमें दिए गए पात्रों की कहानी से प्रेरणा प्राप्त कर सकें | पटकथा में ऐसे महान चार लोग आल्बर्ट आइन्स्टाइन, श्रीकांत बोला, सचिन तेंदुलकर और एडमंड बर्क की जीवन घटना को दर्शाया गया था | यह चारों अपने विद्यार्थी जीवन में बहुत ही सामान्य छात्र थे, उनकी जीवन यात्रा सामान्य छात्र से असामान्य व्यक्ति तक की रही | जिन्होंने अपनी अक्षमता क्षमता में, असमर्थता को समर्थता में बदलकर अपना नाम दुनिया में रोशन किया | इस संवाद की पटकथा उन लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो यह मानकर बैठ गए हैं कि मेरे लिए यह कार्य असंभव है, या तो जिन्होंने दूसरों के बारे में यह धारणा बना ली है कि यह व्यक्ति अपने जीवन में सफल नहीं हो सकता | किंतु वे लोग यह भूल जाते हैं कि एक छोटा-सा बीज विशाल वृक्ष का निर्माण और उसके जैसे लाखों बीज पैदा कर सकता है |

प्रभु के भजन की हमारे जीवन में कितनी महत्ता है यह छात्रों ने संवाद के अंत में प्रगट गुरुहरि श्री प्रबोधजीवन स्वामीजी के जीवन प्रसंग को प्रस्तुत करके बताया | स्वामीजी ने युवाओं को हमेशा यह प्रेरणा दी है कि जीवन में विकट स्थिति आए तो उस स्थिति में से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है भजन | भजन से मन की शुद्धि होती है और आत्मा की गति परमात्मा की तरफ़ बढ़ती है | व्यक्ति के जीवन में प्रभु भजन का इतना महत्व है कि चारों तरफ़ से चिंता ने घेर लिया हो, पढाई में मन नहीं लग रहा हो, असफलता का डर सता रहा हो या मन विचलित रहता हो तो स्वामीजी ने उन सभी समस्याओं का एक ही हल बता दिया कि हृदय से प्रभु भजन | अंतर्मन से प्रभु पुकार, यही हर समस्या का समाधान |

कमलेश सर