दशहरा का तात्पर्य, सदा सत्य की जीत |

गढ़ टूटेगा झूठ का, करें सत्य से प्रीत ||

हमारे भारत देश में विभिन्न ऋतुओं, पौराणिक घटनाओं अथवा अवतारी पुरुषों की पुण्य स्मृति से संबंधित अनेक त्योहार मनाए जाते हैं | दशहरे का त्योहार इनमें से एक प्रमुख त्योहार है | यह त्योहार अन्याय पर न्याय की और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है | यह त्योहार प्रतिवर्ष आश्विन मास में शुक्लपक्ष की   दशमी तिथि को आता है |

दशहरे का त्योहार भारत में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है | इस त्योहार के महत्व को दर्शाते हुए परम पूज्य स्वामीश्री ने कहा था कि – “भारतीय इतिहास में यह दिन बहुत ही मंगलकारी है, आसुरी शक्ति पर दैवीय शक्ति की जीत है | रावण का क्षय हुआ और विभीषण को राज मिला |” यह त्योहार असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है | यह त्योहार आत्मीय विद्या मंदिर परिसर में बड़े ही आनंद और उत्साह के साथ मनाया गया ताकि छात्रों को यह ज्ञात हो कि हमारी संस्कृति की जड़ें कितनी गहरी हैं ! छात्रों के भीतर इस त्योहार को लेकर बड़ा उत्साह था | छात्र अपने साथी मित्रों के साथ इस कार्यक्रम को निहारने हेतु विद्यालय परिसर में उपस्थित हुए | विद्यालय के सम्मानीय प्राचार्य महोदय श्री डॉ. विजय सर एवं अतिथियों ने ठाकुरजी की पूजा-अर्चना करके कार्यक्रम का प्रारंभ किया |

यह त्योहार विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है | छात्र विजयादशमी के महत्व को जाने इस उद्देश्य से इसकी प्राचीन कथा सुनाकर उन्हें यह बताया गया कि अपने अंदर समाहित विविध इन्द्रियों पर जीत हाँसिल कर लेना ही सही अर्थ में विजयादशमी है | विद्यार्थियों को दशहरे की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से अवगत कराते हुए कहा गया कि भगवान राम ने रावण का वध किया, और अधर्म पर धर्म की जीत हाँसिल की | छात्रों को परम पूज्य स्वामीश्री द्वारा बताई गई परावाणी के आधार पर यह समझाया कि हम आज के दिन रावण के पुतले का दहन तो करते हैं किंतु सही अर्थ में वह दहन तब ही सार्थक है जब हम हमारे अंदर विद्यमान गंदी आदतों को उसमें समर्पित कर दें | इस त्योहार के मंगलकारी दिवस को एक ऐतिहासिक घटना ने और भी दिव्यता से भर दिया, जब परम पूज्य योगीजी महाराज के कर-कमलों से परम पूज्य स्वामीश्री को पार्षदी दीक्षा प्राप्त हुई। इस अवसर की महिमा का अमृत सभी उपस्थित जनों ने प्राप्त किया | तत्पश्चात रावण के पुतले का दहन किया गया और साथ में बच्चों ने आतिशबाजी का भरपूर आनंद उठाया |

नवरात्रि में गरबा गुजरात की शान है और विश्व में उसकी अलग पहचान है | इस त्योहार के आगमन के साथ ही यहाँ के लोगों में एक अलग प्रकार का उत्साह दिखाई देता है | संपूर्ण गुजरात में इसकी धूम हो और आत्मीय विद्या मंदिर के छात्र इससे अछूते कैसे रह सकते हैं ! छात्रों के उत्साह को देखते हुए संस्था में दो दिन के लिए गरबा का आयोजन किया गया | उसमें पहले दिन कक्षा ७ से १२वीं और दूसरे दिन कक्षा १ से ६वीं के छात्रों ने बहुत आनंदित होकर भाग लिया | छात्र सब कुछ भूलकर संगीत के साथ झूम उठे और ऐसा लग रहा था कि नवरात्रि का यह त्योहार छात्रों के जीवन में एक नया उत्साह लेकर आया हो | सच में यह एक अद्भूत संस्मरण कह सकते हैं | नवरात्रि, विजयादशमी और दशहरा का यह त्योहार हर व्यक्ति के जीवन में शक्ति, भक्ति, और खुशियाँ लेकर आए ऐसी कामना के साथ दशहरा की शुभकामनाएँ |

कमलेश सर

दशहरा की स्मृतियाँ:

कक्षा १ से ६ गरबा उत्सव की स्मृतियाँ:

कक्षा ७ से १२ गरबा उत्सव की स्मृतियाँ: