Naturalistic Intelligence Competition 2018‎-19

इस पूरे ब्रह्मांड में सिर्फ एक ही जगह ऐसी है जहाँ जीवन है । और जहाँ चारों ओर हरियाली रहती है और इसी हरियाली से यह धरती बहुत ही सुंदर और आकर्षक लगती है | यह प्रकृति ही है जो हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक प्राकृतिक पर्यावरण देती है | यह प्रकृति हमें भगवान द्वारा दिया गया एक बहुमूल्य कीमती उपहार के समान है | हमें इस प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए और इसे नुकसान नहीं पहुँचाना चाहिए | प्रकृति को ही ईश्वर का रूप माना जाता है और जब भी हम प्रकृति के समीप जाते हैं तो एक अलग सी सुख,  शांति और समृद्धि की अनुभूति करते हैं | इसे पैसे या धन दौलत से नहीं खरीदा जा सकता हैं | उन लोगों का जीवन बहुत बड़ा होता हैं जिनका जन्म और मृत्यु प्रकृति की गोद में होता हैं | प्रकृति मनुष्य को बहुत कुछ सिखाती हैं लेकिन मनुष्य उसे नजर अंदाज कर देता है | प्रकृति से प्रेम ही मानव जाति के लिए हितकर है | इसीलिए तो कहा गया है कि “प्रकृति में कोई वाई-फाई (Wi-Fi) नहीं होता है पर हृदय से इसका कनेक्शन (Connection) बहुत मजबूत बनता है |”

ये प्रकृति शायद कुछ कहना चाहती है हमसे,

ये हवाओं की सरसराहट,

ये पेड़ों पर फुदकती चिड़ियों की चहचहाहट,

ये समुंदर की लहरों का शोर,

ये बारिश में नाचते सुंदर मोर,

कुछ कहना चाहते हमसे ||

आत्मीय विद्या मंदिर जहाँ प्राकृतिक माहौल चारों तरफ विद्यमान हैं | छात्र इसी प्राकृतिक वातावरण में अपना विकास करें इसी बात का खास ध्यान यहाँ पर रखा जाता है | छात्र इसी माहौल में कुछ न कुछ सीखते रहे इसलिए यहाँ विविध स्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है | छात्र प्रकृति से कुछ नया सीखें इसी उद्देश्य हेतु आत्मीय विद्या मंदिर में दिनांक – 27 अक्तूबर 2018 के दिन सुबह 11:30 से 12:30 तक प्राकृतिक बुद्धिमत्ता प्रतियोगिता (Naturalistic Intelligence Competition – 2018) का आयोजन किया गया था | इस स्पर्धा में विद्यालय के चारों सदनों में से छात्र उत्साह के साथ प्रतिभागी हुए थे | प्रतिभागी छात्रों के लिए विविध स्पर्धाओं का आयोजन किया गया था | जिसमें कक्षा 1 से 3, कक्षा 4 से 6, कक्षा 7-8 एवं कक्षा 9-10 के छात्रों ने भाग लिया था |

कक्षा 1, 2 एवं 3 के छात्र हेतु माननीय शर्मिल मैडम एवं माननीय लोपा मैडम ने स्पर्धा का आयोजन किया था | इस स्पर्धा के अंतर्गत छात्रों को प्राकृतिक सैर कराने के लिए ले जाया गया था | वहाँ पर छात्रों को प्राकृतिक वस्तुओं का निरीक्षण भी करना था | जब छात्रों ने निरीक्षण कर लिया तब अंत में मूल्यांकन हेतु एक अभ्यास पत्र दिया गया और छात्रों ने उसमें पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देकर अपने सदन को विजेता बनाने का प्रयास किया |

कक्षा 4, 5 एवं 6 के छात्र हेतु माननीय बिनु मैडम एवं माननीय अलका मैडम ने स्पर्धा का आयोजन किया था | इस स्पर्धा के अंतर्गत छात्रों को दो समूह में विभाजित किया था | समूह 1 में कक्षा 4 और 5 के छात्र शामिल थे | समूह 2 में कक्षा 6, 4 और 5 से दो-दो छात्र शामिल किए थे | समूह 1 के छात्रों के लिए तीन गतिविधियाँ की गई थी | गतिविधि-1 कक्षा 4 के छात्रों के लिए की गई थी | उसमें चारों सदन के छात्रों के आँखों पर पट्टी बाँध दी गई थी और छात्रों को जो प्राकृतिक वस्तुएँ हैं उनको सूँघकर या तो चखकर उन वस्तुओं की पहचान करनी थी |  गतिविधि- 2 कक्षा 5 के छात्रों के लिए की गई थी | उसमें चारों सदन के छात्रों के आँखों पर पट्टी बाँध दी गई थी और छात्रों को जो प्राकृतिक वस्तुएँ हैं उनको छूकर उन वस्तुओं की पहचान करनी थी | गतिविधि – 3 कक्षा 4 एवं 5 के छात्रों के लिए की गई थी | इस गतिविधि में छात्रों को विविध प्राणियों की आवाज़ सुनाई गई थी | छात्रों को जानवर की आवाज़ पर से उस जानवर की पहचान करनी थी | समूह 2 में प्रत्येक सदन से कक्षा 4, 5 एवं 6 के छात्र सहभागी हुए थे | उनको प्रकृति में से एवं अन्य कई दूसरी वस्तुओं का संग्रह करना था | संग्रह की गई वस्तुओं में से सुंदर रंगोली का निर्माण करना था | छात्रों ने विविध गतिविधियों का भरपूर आनंद प्राप्त किया |

कक्षा 7 एवं 8 के छात्र हेतु श्री प्रेरक सर और कमलेश सर ने एक सुंदर स्पर्धा का आयोजन किया था | इस स्पर्धा में चारों सदनों के आठ छात्र प्रतिभागी हुए थे | इस स्पर्धा में चारों सदनों के छात्रों को प्राकृतिक वातावरण में से वस्तुओं का संग्रह करने के लिए कहा गया | छात्रों ने उचित समय मर्यादा के अंदर जरूरत के अनुसार वस्तुओं का संग्रह किया | तत्पश्चात छात्रों को उन वस्तुओं का उपयोग करके एक रंगीन कागज़ पर चित्र तैयार करने के लिए कहा गया | छात्रों ने विविध प्रकार की सामग्री का प्रयोग करते हुए इस लेखा-चित्र को उचित समय मर्यादा के अंदर तैयार किया | चारों सदनों के छात्रों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखाने का भरपूर प्रयास किया |

कक्षा 9 एवं 10 के छात्र हेतु श्री आनंद सर एवं श्री मुकेश सर ने विविध स्पर्धाएँ आयोजित की थी | इन स्पर्धाओं में चारों सदनों के छात्रों के लिए चार गतिविधियों का आयोजन किया था | प्रथम गतिविधि में हर सदन के छात्रों को दो चित्र दिए गए थे उन चित्रों के अंदर कुछ अंतर थे | छात्रों को उन अंतर को स्पष्ट करना था | दूसरी गतिविधि में छात्रों को विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, फूल इत्यादि वस्तुएँ दी गई थी और उसकी पहचान करनी थी | तीसरी गतिविधि के अंतर्गत हमारे जीवन में नित्य सामने आने वाली वस्तुओं के आधार पर प्रश्नोत्तरी की गई थी | अंतिम गतिविधि में छात्रों को पंद्रह अलग-अलग वस्तुएँ दी गई थी और उन वस्तुओं का वर्गीकरण करना था | सभी समूह के छात्रों ने इन सभी गतिविधियों का आनंद प्राप्त किया |

प्राकृतिक बुद्धिमत्ता प्रतियोगिता (Naturalistic Intelligence Competition) के आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्रों के भीतर जो प्रकृति से ज्ञान ग्रहण करने की कला है वह कला को विकसित करना था | छात्र जितना सहजता से ज्ञान अर्जित करता है उतना कहीं से नहीं करता है | आज के इस शिक्षा के माहौल में हम देखते हैं कि छात्र अपनी प्रकृति से ज्ञान अर्जित करने की कला को भूलता ही जा रहा है | तो छात्र यह जाने कि प्रकृति ने हमारे आसपास सिखाने के लिए बहुत सारे अवसर पैदा किए हैं | सिर्फ हम उन अवसरों को खोजें और कुछ नया ज्ञान प्रकृति से सहज ही प्राप्त करें | अंत में कह सकते हैं कि “जो सहज ही हमें सीखा जाए वही प्रकृति |”

कमलेश सर

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