ईमानदरी एवं सच्चाई: सदैव सर्वश्रेष्ठ नीति।

उत्साह तथा उमंग , जोश एवं जिज्ञासा , आकांक्षा औेर आशा से युक्त प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी एक बार फिर से आत्मीयविद्यामंदिर में शैक्षणिक सत्र 2011-2012 के लिए खास कर के संस्कारों एवं मानवता का वैश्विकरण करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से नैतिक व सामाजिक मूल्यों पर आधारित अंतर गृह प्रतिस्पर्धा [Value Based Inter House Competition] के शुभांरभ का गौरव सत्यम हाउस को प्राप्त हुआ ।

ईमानदरी एवं सच्चाई: सदैव सर्वश्रेष्ठ नीति।
Honesty and Truthfulness: The Best Policy Forever.

गौरतलब है कि, जब डाँ.रूपाश्री महोदया ने भाग्य पर आधारित मूल्यपत्र-चुनाव तथा आबंटन का आयोजन किया था तब गृहपति छात्र श्री हर्षभाई सारदा के द्वारा उपरलिखित मूल्य का ही चयन हुआ था जो कि, सत्यम हाउस को परिभाषित करता है। गुरुजनो के निर्देशन में सप्ताह भर चले इस कार्यक्रम के शुभारंभ-दिवस के अवसर पर प्रार्थनासभा में छात्रों द्वारा “आज का शुभ विचार” तथा समाचार वाचन के पश्चात मूल्याधारित भाषण सहित इस परंपरा का निर्वहन हाउस के संयोजक [convener] महोदय श्री पारस पंचोली ने पहले दिन के लिए किया । अपने वक्तव्य में श्री पंचोली ने सत्य के साथ सरलता की अनिवार्यता पर विशेष रूप से प्रकाश डाला। द्वितीय दिवस के कार्यक्रम का समापन श्रीमति निलेन्द्री के सानिध्य में छात्र – श्री निकुंज भाई ने “आज का शुभ विचार” , श्रीतपन भाई ने समाचार वाचन तथा श्री जय वाकावाल भाई ने भाषण दे कर के किया। गृह-प्रतिस्पर्धा की श्रंखला में एक और कडी़ को जोड़ने का काम सप्ताह के तृतीय दिन श्री प्रभुमग्न के दिशा-निर्देशन में छात्र – श्री सचीन भाई , श्री हर्ष भाई , श्री प्रखर भाई, श्री रोशन भाई ने पूर्व-निर्धारित क्रम से ही सम्पन्न किया ।

ध्यातव्य है कि, इस पूरे सप्ताह भर के दौरान जहाँ एक ओर कुछ छात्र निर्धारित शिक्षकों के पर्यवेक्षण में प्रतिदिन प्रार्थना-सभा में होने वाले कार्यक्रमों का आयोजन करते है, वहीं दुसरी तरफ अन्य छात्र हाउस के शेष अध्यापक/अध्यापिकाओं के सानिध्य में आत्मीयविद्यामंदिर की अपनी एक खास एवं अद्भुत, विशेष रुप से प्रतिक्षित प्रति शनीवार को होने वाली रचनात्मक पेशकश की तैयारी के लिए कठोर परिश्रम कर रहे होते है। और इतना ही नहीं इन सब के साथ ही प्रति हाउस को सप्ताहारंभ में प्रदर्शनी-पट्टो पर स्वेच्छा से छात्रोचित किसी शिर्षक का चयन कर के उसकी अधिकाधिक जानकारी कम से कम जगह में रोचक तरीके से प्रदर्शित करनी होती है।

गुरुवार को भी श्री पुष्पक की जानकरी में छात्र – श्री अभीषेक भाई आरीवाला , श्री वृशांक भाई , श्री लव भाई पटेल ने अपना दायित्व निभाया । सप्ताह के अगले दिन इसी मूल्य की दिशा में श्रीमती रेखा गोस्वामी ने अग्रसित होते हुए श्री आदर्श भाई , श्री जयभाई वाकावाला , श्री पल्लव भाई , एवं कक्षा पांच और छह के छात्रों के परिश्रम से “युधिष्ठिर की सत्यनिष्ठा” नामक एक लघु नाटिका का सफलता पूर्वक प्रस्तुतिकरण किया ।

आबंटित मूल्य का महिमा मंडन करते हुए आज सप्ताहांत आ ही गया । रचनात्मक प्रार्थना सभा का कार्यभार जिन छात्रों तथा अध्यापकों के कंधों पर था उन्होनें पूर्णरुपेण दत्तचित्त होकर के शनीवार को एक अत्यन्त मनोरम नाटक का आयोजन किया जो कि, आत्मीय विद्यामंदिर में ही घटित एक सत्य प्रकरण का मञ्चन था। नाटक दो छात्रों की सत्य एवं असत्य के प्रति निष्ठा पर केंद्रित था । इसके मुख्य नायक थे छात्र श्री सुमीत चौधरी, छात्र श्री आगम [11 वी वाणिज्य] एवं छात्र श्री शुभम । नाटक की मुख्या आयोजिका तथा मुख्य आयोजक भूलकु शर्मील व श्री पंचोली के साथ श्रीमती सुनिता दास , श्रीमती नीहारिका खत्री, ज्योत्सना दीदी , श्रीमती संगीता दूबे आदि ने कठोर परिश्रम से सच्चाई एवं ईमानदारी का संदेश छात्रों तथा दर्शको तक आसानी से और सफलता पूर्वक पहुंचाया।

प्रदर्शनी-पट्ट: इस बार सत्यम हाउस ने प्रदर्शनी-पट्ट को बडा ही आकर्षक तथा साथ ही साथ गागर में सागर रूप दिया । जापान में सुनामी तथा भूकंप के दौरान वहाँ के लोगो ने जिस अनुशासन और आपसी सौहार्द का प्रदर्शन किया उस को ध्यान में रख कर तैयार किये गये प्रदर्शन पट्ट देखते ही बनता था।

नींव की ईंटे – भूलकु सर्वदर्शितबेन , श्री सुह्रदम नायक , श्री हिमांशू , श्री पूजीतभाई , प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष सभी सहयोगी व्यक्तियों को सत्यम हाउस का हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार ।

लेखक: पुष्पक जोशी (शिक्षक)