स्पर्धा के इस अंधे दौड में दौडते दौडते आजका मानसमन दिशाहीन हो गया है| फलस्वरुप मेहनत व मेहनत से प्राप्त सफलता के स्वाद से वह विमुख होता जा रहा है|

“ मेहनत ही सफलता की कुंजी है ” यह दिव्यसार जाने बगैर ही व्यक्ति शोर्टकट रास्ते पर जाने की और अग्रसर हो चला है|

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान्‌ रिपुः ।
नास्त्युद्‌यमसमो बन्धुः कृत्वां यं नावसीदति ॥

गत दिनांक १८ नवंबर शनिवार की सुबह क्रिएटिव एसेंबली को परम पूज्य श्री हरिप्रसाद स्वामीजी की प्रेरणा से आत्मीय विद्यामंदिर के विशाल प्रार्थनागृह में सत्यम सदन के सदस्यों द्वारा “ कोशिश करनेवालों कि कभी हार नहीं होती ” इस मूलमंत्र को समजाने का एक सफल प्रयास किया गया|

प्रस्तुत नाटिका में जहां मेहनत व प्रयास को सर्वोपरि स्थान दिया गया था, वहीं लगन व प्रेरणा के भाव को भी महत्वपूर्ण बताया गया था| प्रस्तुत नाटिका में मुख्य पात्र यवकृत द्वारा बिना परिश्रम के ही वेद ज्ञान को प्राप्त करने की लालसा का उदाहरण दिया गया था| तथा हास्य द्रश्यों द्वारा यवकृत का यह समजना कि, सफलता के लिए सिर्फ सपने देखना, सोचना व चिंतन करना, या मनोरथ करना काफी नहीं है उसके लिए प्रत्यक्ष प्रयास करना पडता है| परिश्रम ही सफलता कि राह पर ले जाती है| यह एक सराहनीय प्रयास था|

इस प्रसंग को जीवन में आत्मसात करने के लिए या साक्षात प्रस्तुत करने में आत्मीय विद्यामंदिर के सत्यम सदन के कक्षा १ से १० तक के ९० छात्रों व शिक्षकों का अमूल्य योगदान रहा|

कार्यक्रम के अंत में कवि श्री हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखित कविता “ कोशिश करने वालों कि कभी हार नहीं होती ” को समूह गीत के रूप में बड़े ही भावपूर्ण व प्रेरणास्त्रोत के तौर पर प्रस्तुत किया गया और “ सफलता प्राप्त करने के लिए उद्यम अनिवार्य है ” यह संदेश दिया|

Written by: Rekha Ma’am