“हमें ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े,

 बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैर पर खड़ा हो सके |”

– स्वामी विवेकानंद

विश्व-विख्यात आध्यात्मिक विभूति स्वामी विवेकानंद जी ने अपने ओजस्वी विचारों और दूरदृष्टि से समाज में नई चेतना जाग्रत की, उसे एक नई दिशा दी | शिक्षा ही वह उपादान है, जो मनुष्य के बौद्धिक स्तर को बढ़ाकर उसके जीवन को सुखद बनाता है | शिक्षा बिना मानव जीवन पंगु है | जिस मनुष्य के पास जैसी शिक्षा होगी, उसकी बुद्धि वैसी होगी | शिक्षा द्वारा मनुष्य अपना विकास तो करता ही है, साथ में समाज का विकास भी करता है |

कहा जाता है कि स्वर्गलोक की सीधी किरणें भारतभूमि पर पदार्पण करती हैं इसलिए भारत संतों की स्थायी स्थली है | वैसे तो इतिहास से लेकर वर्तमान तक भारत में अनेक साधु-संत एवं सिद्ध पुरुष अवतरित हुए हैं | समाज को जहाँ भी मार्गदर्शन की जरूरत हुई है वहाँ पर ऐसे ही सिद्ध पुरुषों ने हमेशा समाज का मार्गदर्शन किया है | यदि हम शिक्षा की बात करें तो शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों का व्यक्तित्व विकास, आध्यात्मिक विकास और चरित्र निर्माण होना चाहिए | ऐसे छात्र समाज के प्रति अपने कर्तव्य को समझकर समाज को उन्नत बनाने का प्रयत्न कर सकते हैं |

आत्मीय विद्या मंदिर एक ऐसा विद्या का मंदिर हैं जहाँ पर छात्रों के भीतर विद्यमान सुषुप्त शक्तियों को बाहर लाने का लगातार प्रयास होता रहता है | शिक्षा के जो मूल उद्देश्य है उसकी पूर्ति हेतु विद्यालय में पूरे वर्ष में अनेक स्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है | छात्रों का बौद्धिक, शारीरिक, सामाजिक, आध्यात्मिक विकास हो उसका ध्यान रखा जाता है | इसी लक्ष्य हेतु आत्मीय विद्या मंदिर में दिनांक – 02 सितम्बर 2017 के दिन सुबह 11:30 से 12:30 तक शारीरिक एवं क्रियात्मक बुद्धिमत्ता परिक्षण  (Body & Kinaesthetic Intelligence) स्पर्धा का आयोजन किया गया था | इस स्पर्धा में विद्यालय के चारों सदनों में से छात्र उत्साह के साथ प्रतिभागी हुए थे | प्रतिभागी छात्रों के लिए विविध स्पर्धाएँ रखी गई थी | जिसमें कक्षा 1 से 3 , कक्षा 4 से 6 , कक्षा 7-8 एवं कक्षा 9-10 के छात्रों के बीच में स्पर्धाओं का आयोजन किया गया था |

कक्षा 1, 2 एवं 3 के छात्र हेतु माननीय शर्मिल मैडम एवं माननीय श्रीजीचिंतन मैडम ने विविध स्पर्धाओं का आयोजन किया था | इन स्पर्धाओं का नाम उन्होंने “आत्मीयता” रखा था | प्रथम समूह हेतु बिंदी की एक श्रृंखला बनानी थी | द्वितीय समूह हेतु मेज़ पर एक रस्सी से पार होकर विविध वस्तुओं का सेवन करना था | तृतीय समूह हेतु एक गेंद को एक गोलाकर में पहुँचाना था | इन सभी स्पर्धाओं में जिस सदन ने उचित समय मर्यादा में कार्य किया वह सदन विजेता घोषित हुआ |

कक्षा 4, 5 एवं 6 के छात्र हेतु श्री प्रभुदर्शन सर एवं कमलेश सर ने विविध स्पर्धाएँ आयोजित की थी | कक्षा 4 में से कुल सोलह छात्र, कक्षा 5 में से कुल अट्ठाईस एवं कक्षा 6 में से चौबीस छात्र प्रतिभागी हुए थे | कक्षा 4 के छात्रों के लिए प्रत्येक सदन में से छात्र अपने पैरों से गेंद उठाकर एक गोलाकार जगह में रखनी थी | जिस सदन के छात्रों ने उचित समय मर्यादा के अंदर सबसे ज्यादा गेंद रखी उस सदन को विजेता घोषित किया गया | कक्षा 5 के छात्र हेतु पानी के पीप में से पानी को एक स्थान से लेकर दूसरे स्थान पर रखी बाल्टी में अपने मित्रों की सहायता से भरना था | जिस सदन के छात्रों ने उचित समय मर्यादा के अंदर सबसे ज्यादा पानी भरा वह सदन विजेता बना | कक्षा 6 के छात्र हेतु एक छोटी-सी गेंद को पानी से प्यालों को भरकर अपने मुँह से फूँक लगाकर उस गेंद को विविध प्यालों में से बाहर निकालनी थी | जिस सदन के छात्रों ने कम समय मर्यादा में यह कार्य समाप्त किया वह सदन विजेता बना | इस तरह पूरी स्पर्धा का आनंद कक्षा के छात्रों एवं विविध सदन के छात्रों ने लिया |

कक्षा 7 एवं 8 के छात्र हेतु श्री प्रेरक सर और श्री गौतम सर ने एक सुंदर स्पर्धा का आयोजन किया था | इस स्पर्धा में चारों सदनों के सोलह छात्र प्रतिभागी हुए थे | इस स्पर्धा के अंतर्गत छात्रों को अपने समूह छात्र के साथ एक पैर बाँधकर एक छोटी-सी गेंद को उछालते हुए दिए गए लक्ष्य तक उचित समय मर्यादा के अंदर ज्यादा से ज्यादा बार डालना था | जिस समूह के छात्रों ने सबसे ज्यादा गेंद बोक्स में डाली वह सदन विजेता करार दिया गया |

कक्षा 9 एवं 10 के छात्र हेतु श्री आनंद सर एवं श्री मुकेश सर ने विविध स्पर्धाएँ आयोजित की थी | इन स्पर्धाओं में चारों सदनों से कुल सोलह छात्रों ने भाग लिया था | प्रथम स्पर्धा के अंतर्गत एक मेज़ को उचित समय मर्यादा में किए गए चिह्न के अंदर योग्य स्थान पर स्थापित करना था | दूसरी स्पर्धा में एक गेंद को एक मिनट के अंदर एक छोटी-सी बाल्टी के अंदर डालना था | तीसरी स्पर्धा में एक मेज़ में लकड़ी बाँधकर उस लकड़ी और मेज़ के भीतर छोटी-सी जगह में से छात्रों को पार होना था | अंतिम स्पर्धा में एक गोलाकार रींग में से दोनों छात्रों को निकलना था | इन स्पर्धाओं में जिस सदन के छात्रों ने सबसे ज्यादा इस प्रक्रिया को दोहराया वह सदन विजेता घोषित किया गया |

शारीरिक एवं क्रियात्मक बुद्धिमत्ता परिक्षण (Body & Kinaesthetic Intelligence) स्पर्धा के आयोजन का मुख्य उद्देश्य था कि छात्रों के भीतर विद्यमान सुषुप्त शक्तियों को बाहर लाना एवं छात्रों के अंदर समूह भावना का विकास करना | छात्र बड़े ही उत्साह के साथ स्पर्धा में प्रतिभागी हुए और बहुत ही मनोरंजन किया | एक ही वाक्य में कहना हो तो कह सकते हैं कि “क्रीड़ा के साथ ज्ञान की अभिवृद्धि |”

Reported by: Kamlesh Sir